Thursday, November 3, 2016

दिल्ली के Pollution और हमारी modern ज़िन्दगी पर मेरी कविता: 'विकास'

                                                                              'विकास'

हवा ज़हर हो गयी
ज़िन्दगी क़हर हो गयी
AC में उम्र कट गयी
तुमने सुना नहीं?
देश की डेवेलोपमेंट हो गयी!

नल से निकला पीला पानी
गंगा हो गयी गन्दी नाली
जल बन गया बिसलेरी,
बढ़ेगा हमारा GDP!

बच्चों से खाली हुई गलियाँ
कमरों में बस गयी दुनिया
कहाँ गए बगीचे,
कहाँ गयी क्यारी,
पार्क करेंगे एक और गाड़ी

यह खरीद, वह खरीद
मन भर भी गया तो,
और खरीद
कितने Mall , कितने बुटीक
विकास के हैं यही प्रतीक!

खाने में है पेस्टिसाइड
किसान ने किया सुसाइड
मगर घबराना नहीं मेरे भाई  
गंदगी साफ़ करेगा टाइड!

बस
बंद करता हूँ अब यह बकवास
बढाओ टीवी की आवाज़
आने वाला है news hour,
इंडिया बन गया superpower

- अमित